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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्
अनुवाद - हे जगदीश्वर श्रीहरे! हे केशिनिसूदन! आपने कल्किरूप धारणकर म्लेच्छों का विनाश करते हुए धूमकेतु के समान भयंकर कृपाण को धारण किया है। आपकी जय हो ॥10॥ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्वय - हे केशव! हे धृत-कल्कि शरीर! [त्वं] म्लेच्छ- निवहनिधने (वेद-बाह्यान् उन्मार्गप्रस्थितान् दुराचारान् हत्वा पुनर्वर्णाश्रम-स्थापनायेत्यर्थ:) धूमकेतुमिव किमपि (अनिर्वचनीयम् अतिशयमित्यर्थ:) करालं (भीषणं) करवालं (अंस) कलयसि (धारयसि) हे जगदीश, हे हरे, त्वं जय ॥10॥
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