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श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
प्रथम सर्ग
सामोद-दामोदर
अथ प्रथम सन्दर्भ
अष्टपदी
1. गीतम्
अनुवाद - हे जगत स्वामिन श्रीहरे! हे केशिनिसूदन! आपने रामरूप धारण कर संग्राम में इन्द्रादि दिक्पालों को कमनीय और अत्यन्त मनोहर रावण के किरीट भूषित शिरों की बलि दशदिशाओं में वितरित कर रहे हैं। हे रामस्वरूप! आपकी जय हो ॥7॥ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्वय - हे केशव! हे धृत-रघुपतिरूप! (स्वीकृत-दाशरथि-देह) रणे (युद्धे) दिक्पति-कमनीयं (दिशां पतीनाम् इन्द्रादिलोकपालानां कमनीयं वाञ्छनीयं) [दशसु] दिक्षु रमणीयं (शोभाकरं) दशमुखमौलिवलिं (रावणदशमुण्डोपहारं) वितरसि (ददासि)। हे जगदीश, हे हरे, त्वं जय ॥7॥
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