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प्रस्तावना
(त)
श्रीगीतगोविन्द की टीकाएँ
इस ग्रन्थ की मूल प्रतिलिपि का संकलन श्रीमान भक्तिवेदान्त तीर्थ महाराज ने बड़े परिश्रम से किया है। उन्होंने इस अभिनव संस्करण का ढाँचा प्रस्तुत किया। तत्पश्चात् बेटी श्रीमती मधु खण्डेलवाल एम. ए., पी एच. डी. ने इसकी भाषा का संशोधन और अलंकृत कर मानो इसमें प्राण शक्ति का संचार किया है। यही नहीं अपितु सौभाग्यवती बेटी ने बडे़ परिश्रम से इस गीतगोविन्द-ग्रन्थ के दुर्लभ किन्तु अतिशय सुन्दर और भावपूर्ण श्रीविनयमोहन सक्सेना, दिल्ली निवासी द्वारा रचित पद्यानुवाद खोजकर इसमें सन्निाहित किया है। इसका यह कार्य अत्यन्त सराहनीय है। श्रीभक्ति वेदान्त माधव महाराज जी ने तथा श्रीओमप्रकाश ब्रजवासी एम. ए., एल.एल.बी., साहित्य रत्न ने इसका विशेष रूप से प्रूफ-संशोधन किया है। श्रीमान सुबल सखा ब्रह्मचारी और श्रीपुरन्दर ब्रह्मचारी ने कम्प्यूटर से इसकी प्रतिलिपि प्रस्तुत की है। विशेषत: श्रीमान पुण्डरीक ब्रह्मचारी तथा सौभाग्यवती वृन्दादेवी ने मेरे साथ रहकर बड़े परिश्रम से इस ग्रन्थ का प्रूफ-संशोधन किया है। मैं श्रीजयदेव गोस्वामी तथा उनकी परमाराध्या श्रीराधिका एवं ब्रजेन्द्रनन्दन श्रीश्यामसुन्दर के चरणों में प्रार्थना करता हूँ कि वे उन पर अहैतु की कृपा करें, जिससे वे इस प्रसिद्ध काव्य के यथार्थत: अधिकारी बन सकें। शीघ्रता से इसका प्रकाशन होने के कारण कुछेक त्रुटियाँ रह गई हैं। कृपालु सहृदय पाठकगण इन त्रुटियों का संशोधन कर इसके भावार्थ को ग्रहण करेंगे और पत्र के माध्यम से मुझे सूचित करेंगे, जिसका मैं अगले संस्करण में संशोधन कर सकूँ।
फाल्गुन पूर्णिमा
517 श्रीगौराब्द
भारतीयाब्द 1924,
18 मार्च 2003 ई.
श्रीहरि-गुरु-वैष्णव कृपालेश प्रार्थी
दीनहीन
त्रिदण्डिभिक्षु श्रीभक्तिवेदान्त नारायण
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