विषय सूची
श्रीगीतगोविन्दम् -श्रील जयदेव गोस्वामी
तृतीय: सर्ग:
मुग्ध-मधुसूदन:
अथ सप्तम सन्दर्भ
7. गीतम्
पद्यानुवाद बालबोधिनी- श्रीकृष्ण श्रीराधा की वियोगावस्था से अत्यन्त व्याकुल हैं, उद्विग्न हैं। वे अपने समक्ष ही विद्यमान-सी श्रीराधा को मानकर, स्फूर्त्ति के उद्रगमित होने पर श्रीराधा को 'तन्वि' पद से सम्बोधित करने लगे हे राधे! मैंने तुम्हें छोड़कर दूसरी ब्रजांगनाओं के साथ विहार किया। इसलिए तुम्हारा हृदय कलुषित हो गया है, तुम्हारे हृदय में अपनी उत्कर्षता के कारण दूसरों के प्रति ईर्ष्या भर गयी है। दोषारोपण के कारण तुम्हारा हृदय खेदमय हो गया है। तुम यहाँ से अन्यत्र चली गयी हो। यदि मैं जानता कि तुम कहाँ गयी हो तो तुम्हारा पाद स्पर्श करके तुम्हें मना लेता तुम से क्षमा माँग लेता ॥5।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
सर्ग | नाम | पृष्ठ संख्या |