गीता 6:11

गीता अध्याय-6 श्लोक-11 / Gita Chapter-6 Verse-11

प्रसंग-


पवित्र स्थान में आसन स्थापन करने के बाद ध्यान योग के साधक हो क्या करना चाहिये, उसे बतलाते हैं-


शुचौ देशे प्रतिष्ठाप्य स्थिरमासनमात्मन: ।
नात्युच्छ्रितं नातिनीचं चैलाजिनकुशोत्तरम् ॥11॥



शुद्ध भूमि में, जिसके ऊपर क्रमश: कुशा, मृगछाला और वस्त्र बिछे हैं, जो न बहुत ऊँचा है और न बहुत नीचा, ऐसे अपने को स्थिर स्थापन करके ॥11॥

Having firmly placed his seat in a spot which is free from dirt and other impurities with the sacred kusa grass, a deerskin and a cloth spread thereon one below another (kusa below, deersking in the middle and cloth uppermost), neither very high nor very low. (11)


शुचौ = शुद्ध; देशे =भूमि में; चैलाजिन कुशोत्तरम् = कुशा मृगलछाला और वस्त्र हैं उपरोपरि जिसके ऐसे; आत्मन: = अपने; आसनम् = आसन को; अत्युच्छितम् = अति ऊंचा (और); अतिनीचम् = अति नीचा; स्थिरम् = स्थित; प्रतिष्ठाप्य =स्थापन करके



अध्याय छ: श्लोक संख्या
Verses- Chapter-6

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अध्याय / Chapter:
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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