इस प्रकार इन्द्रिय संयम की आवश्यकता का प्रतिपादन करके अब भगवान् साधक का कर्तव्य बतलाते हुए पुन: इन्द्रिय संयम को स्थित प्रज्ञ अवस्था का हेतु बतलाते हैं-
↑महाभारत के मुख्य पात्र है। वे पाण्डु एवं कुन्ती के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। द्रोणाचार्य के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। द्रौपदी को स्वयंवर में भी उन्होंने ही जीता था।