गीता 1:9

गीता अध्याय-1 श्लोक-9 / Gita Chapter-1 Verse-9

प्रसंग-


अपने महारथी योद्धाओं की प्रशंसा करके अब दुर्योधन[1] दोनों सेनाओं की तुलना करते हुए अपनी सेना को पांडव[2] सेना की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली और उत्तम बतलाते हैं-


अन्ये च बहव: शूरा मदर्थे त्यक्तजीविता: ।
नानाशस्त्रप्रहरणा: सर्वे युद्धविशारदा: ॥9॥



और भी मेरे लिये जीवन की आशा त्याग देने वाले बहुत-से शूरवीर अनेक प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित और सभी युद्ध में चतुर हैं ॥9॥

And there are many other heroes, equipped with various weapons and missiles, who have staked their lives for me, all skilled in warfare.


बहव: = बहुत से; शूरा: = शूरवीर; नानाशस्त्रप्रहरणा: = अनेक प्रकार के शस्त्र अस्त्रों से युक्त; मदर्थें = मेरे लिये; त्यक्तजीविता: = जीवन की आशा को त्यागने वाले; सर्वें = सब के सब; युद्वविशारदा: = युद्ध में चतुर हैं;



अध्याय एक श्लोक संख्या
Verses- Chapter-1

1 | 2 | 3 | 4, 5, 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17, 18 | 19 | 20, 21 | 22 | 23 | 24, 25 | 26 | 27 | 28, 29 | 30 | 31 | 32 | 33, 34 | 35 | 36 | 37 | 38, 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था।
  2. पांडव कुन्ती के पुत्र थे। इनके नाम युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव थे।

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