गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक
परिशिष्ट-प्रकरण
भाग 1-गीता और महाभारत।
ऊपर यह अनुमान किया गया है, कि श्रीकृष्णजी सरीखे महात्माओं के चरित्रों का नैतिक समर्थन करने के लिये महाभारत में कर्मयोग-प्रधान गीता, उचित कारणों से, उचित स्थान में रखी गई है; और, गीता महाभारत का ही एक हिस्सा होना चाहिये। वही अनुमान, इन दोनों ग्रंन्थों की रचना की तुलना करने से, अधिक दृढ़ हो जाता है। परन्तु, तुलना करने के पहले, इन दोनों ग्रन्थों। के वर्तमान स्वरूप का कुछ विचार करना आवश्यक प्रतीत होता है। अपने गीता, भाष्य के आरंभ में श्रीमच्छंकराचार्यजी ने स्पष्ट रीति से कह दिया है, कि गीता ऊपर यह अनुमान किया गया है, कि श्रीकृष्णजी सरीखे महात्माओं के चरित्रों का नैतिक समर्थन करने के लिये महाभारत में कर्मयोग-प्रधान गीता उचित कारणों से, उचित स्थान में रखी गई है; और, गीता महाभारत का ही एक हिस्सा होना चाहिये। वही अनुमान, इन दोनों ग्रंथों की रचना की तुलना करने से अधिक दृढ़ हो जाता है। परन्तु, तुलना करने के पहले, इन दोनों ग्रंथों के वर्तमान स्वरूप का कुछ विचार करना आवश्यकप्रतीत होता है। अपने गीता, भाष्य के आरंभ में श्रीमच्छंकराचार्यजी ने स्पष्ट रीति से कह दिया है, कि गीता-ग्रंथ में सात सौ श्लोक हैं और,वर्तमान समय की सब पोथियों में भी उतने ही श्लोक पाये जाते हैं। इन सात सौ श्लोकों में से १ श्लोक धृतराष्ट्र का है 40 संजय के, 80 अर्जुन के और 575 भगवान के हैं। परन्तु, बंबई के गणपत कृष्णजी के छापखाने में मुद्रित पोथी में भीष्मपर्व में वर्णित गीता के अठारह अध्यायों के बाद जो अध्याय आरंभ होता है, उसके (अर्थात् भीष्मपर्व के तेतालीसवें अध्याय के ) आरंभ में साढे़ पांच श्लोकों में गीता-माहात्मय का वर्णन किया गया है और उसमें कहा हैः- षट्शतानि सविंशानि श्लोकानां प्राह केशवः। अर्थात् ‘‘गीता में केशव के 620, अर्जुन के 57, संजय के 67, और धृतराष्ट्र का 1; इस प्रकार कुल मिलाकर 745 श्लोक है।’’ मद्रास इलाके में जो पाठ प्रचलित हैं उसके अनुसार कृष्णाचार्यद्वारा प्रकाशित महाभारत की पोथी में ये श्लोक पाये जाते हैं; परन्तु कलकत्ते में मुद्रित महाभारत में ये नहीं मिलते; और भारत-टीकाकार नीलकंठ ने तो इनके विषय में यह लिखा है कि इन 5½ श्लोकों को ‘‘गौडैः न पठयन्ते’’। अतएव प्रतीत होता है कि ये प्रक्षिप्त हैं। परन्तु, यद्यपि इन्हें प्रक्षिप्त मान लें, तथापि यह नहीं बतलाया जा सकता कि गीता में श्लोक (अर्थात वर्तमान पोथियों में जो 700 श्लोक हैं उनसे 45 श्लोक अधिक) किसे और कब मिले। महाभारत बड़ा भारी ग्रंथ है, इसलिए संभव है कि उसमें समय-समय पर अन्य श्लोक जोड़ दिये गये हों तथा कुछ निकाल डाले गये हों। परन्तु यह बात गीता के विषय में नहीं कही जा सकती। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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