गीता रहस्य अथवा कर्मयोग शास्त्र -बाल गंगाधर तिलक
नवां प्रकरण
सूक्त तथा भाषांतर
अतएव उसके सत्यांश के विषय में इस सूक्त के ऋषि यह कहते है, कि– नासदासीन्नो सदासीत्तदानीं |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऋचा पहली– चौथे चरण में ‘आसीत किम’ यह अंवय करके हमने उक्त अर्थ दिया है; और उसका भावार्थ है ‘पानी तब नहीं था’ (तै.ब्रा. 2.2.9 देखो)।
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