गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास
दूसरा अध्याय
इस रसबुद्धि को दूर करने के लिये क्या करना चाहिये भगवन्? आपके परायण न होनेसे क्या होगा? विषयों के चिन्तन से क्या होगा? आसक्ति होने से क्या होगा? |
इस रसबुद्धि को दूर करने के लिये क्या करना चाहिये भगवन्? आपके परायण न होनेसे क्या होगा? विषयों के चिन्तन से क्या होगा? आसक्ति होने से क्या होगा? |