गीता माधुर्य -रामसुखदास पृ. 131

गीता माधुर्य -स्वामी रामसुखदास

सत्रहवाँ अध्याय

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अभीतक आपने पूजन और तप से श्रद्धालु और अश्रद्धालु मनुष्यों की पहचान बतायी; परन्तु जो पूजन, तप आदि नहीं करते, उनकी पहचान किससे होगी?
भोजन रुचि से उनकी पहचान हो जायगी; क्योंकि भोजन तो सभी करते हैं; अतः सबको आहार भी तीन तरह का प्रिय होता है। ऐसे ही यज्ञ, तप और दान भी तीन तरह के प्रिय होते हैं, उनके इस भेद को तू सुन।।7।।

सात्त्विक मनुष्य की रुचि किस आहार से होती है?
आयु, सत्त्वगुण, बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता को बढ़ाने वाले, स्थिर रहने वाले, हृदय को बल देने वाले, रसयुक्त और चिकने-ऐसे भोजन के पदार्थ सात्त्विक मनुष्य को प्रिय होते हैं।।8।।

राजस मनुष्य की रुचि किस आहार में होती है?
अधिक कड़वे, खट्टे, नमक वाले, गरम, तीखे, रूखे और दाहकारक भोजन के पदार्थ राजस मनुष्य को प्रिय होते हैं, जो कि दुःख, शोक और रोग को देने वाले हैं।।9।।

तामस मनुष्य की रुचि किस आहार से होती है?
अधपके, रसरहित, दुर्गन्धित (मदिरा, प्याज, लहसुन आदि) बासी, उच्छिष्ट (जूठे) और महान् अपवित्र (मांस, मछली, अण्डा आदि) भोजन के पदार्थ तामस मनुष्य को प्रिय होते हैं।।10।।

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गीता माधुर्य -रामसुखदास
अध्याय पृष्ठ संख्या
अध्याय 1 7
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अध्याय 3 36
अध्याय 4 44
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अध्याय 7 67
अध्याय 8 73
अध्याय 9 80
अध्याय 10 86
अध्याय 11 96
अध्याय 12 100
अध्याय 13 109
अध्याय 14 114
अध्याय 15 120
अध्याय 16 129
अध्याय 17 135
अध्याय 18 153

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