गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 96

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
चौथा अध्याय
ज्ञानकर्मसंन्‍यासयोग


चातुर्वर्ण्‍य मया सृष्‍टं गुणकर्मविभागश:।
तस्‍य कर्तामपि मां विद्धयकर्तारमव्‍ययम्।।13।।

गुण और कर्म के विभागानुसार चार वर्ण मैंने उत्‍पन्‍न किये हैं, उनका कर्त्ता होने पर भी मुझे तू अविनाशी-अकर्ता जानना।

न मां कर्माणि लिम्‍पन्ति न मे कर्मफले स्‍पृहा।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्‍यते।।14।।

मुझे कर्म स्‍पर्श नहीं करते हैं। मुझे इनके फल की लालसा नहीं है। इस प्रकार जो मुझे अच्‍छी तरह जानते हैं, वे कर्म के बन्‍धन में नहीं पड़ते।

टिप्‍पणी- क्‍योंकि मनुष्‍य के सामने, कर्म करते हुए अकर्मी रहने का सर्वोत्तम दृष्‍टांत है। और सबका कर्त्ता ईश्वर ही है, हम निमित्तमात्र ही हैं, तो फिर कर्त्तापन का अभिमान कैसे हो सकता है ?

एवं ज्ञात्‍वा कृतं कर्म पूर्वेरपि मुमुक्षुभि:।
कुरु कर्मेव तस्‍मात्‍वं पूर्वे: पूर्वतरं कृतम्।।15।।

ऐसे जानकर पूर्वकाल में मुमुक्षु व्‍यक्तियों ने कर्म किये हैं। इससे तू भी पूर्वज जैसे सदा से करते आये हैं वैसे कर।

किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्‍यत्र मोहिता:।
तत्ते कर्म प्रवक्ष्‍यामि यज्‍ज्ञात्‍वा मोक्ष्‍यसेऽशूभात्।।16।।

कर्म क्‍या है, अकर्म क्‍या है, इस विषय में समझदारों को भी मोह हुआ है। उस कर्म के विषय में मैं तुझे यथार्थ रूप से बतलाऊंगा उसे जानकर तू अशुभ से बचेगा।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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