गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 89

गीता माता -महात्मा गांधी

Prev.png
अनासक्तियोग
तीसरा अध्याय
कर्मयोग


प्रकृतेर्गुणसंमूढा: सज्‍जन्‍ते गुणकर्मसु।
तानकृत्‍स्‍नविदो मन्‍दान्‍कृतस्‍नविन्‍न विचालयेत्।।29।।

प्रकृति के गुणों से मोहे हुए मनुष्‍य गुणों के कर्मों में आसक्‍त रहते हैं। ज्ञानियों को चाहिए कि वे इन अज्ञानी मंद-बुद्धि लोगों को अस्थिर न कर सकें।

मयि सर्वाणि कर्माणि संन्‍यस्‍याध्‍यात्‍मचेतसा।
निराशीनिंर्ममो भूत्‍वा युध्‍यस्‍व विगतज्‍वर:।।30।।

अध्‍यात्‍म-वृत्ति रखकर, सब कर्म मुझे अर्पण करके, आसक्ति और ममत्‍व को छोड़, रागरहित होकर तू युद्ध कर।

टिप्‍पणी- जो देह में विद्यमान आत्मा को पहचानता और उसे परमात्मा का अंश जानता है वह सब परमात्‍मा को ही अर्पण करेगा, वैसे ही, जैसे कि नौकर मालिक के नाम पर काम करता है और सब कुछ उसी को अर्पण करता है।

ये मे म‍तमिदं नित्‍यमनुतिष्‍ठन्ति मानवा:।
श्रद्धावन्‍तोऽसूयन्‍तो मुच्‍यन्‍ते तेऽपि कर्मभि:।।31।।

श्रद्धा रखकर, द्वेष छोड़कर जो मनुष्‍य मेरे इस मत के अनुसार चलते हैं, वे भी कर्मबंधन से छूट जाते हैं।

ये त्‍वेतदभ्‍यसूयन्‍तो नानुतिष्‍ठन्ति से मतम्।
सर्वज्ञानविमूढ़ांस्‍तान्विद्धि नष्‍टानचेतस:।।32।।

परंतु जो मेरे इस अभिप्राय में दोष निकालकर उसका अनुसरण करते, वे ज्ञानहीन मूर्ख हैं। उनका नाश हुआ समझ।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः