गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 81

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
दूसरा अध्याय
सांख्‍ययोग


या निशा सर्वभूतानां तस्‍यां जागर्ति संयमी।
यस्‍यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्‍यतो मुने:।।69।।

जब सब प्राणी सोते रहते हैं तब संयमी जागता रहता है। जब लोग जागते रहते हैं तब ज्ञानवान मुनि सोता रहता है।

टिप्‍पणी- भोगी मनुष्‍य रात के बारह-एक बजे तक नाच, रंग, खानपान आदि में अपना समय बिताते हैं और फिर सवेरे-सात आठ बजे तक सोते हैं। संयमी रात के सात-आठ बजे सोकर मध्‍यरात्रि में उठकर ईश्वर का ध्‍यान करते हैं। इसके सिवा भोगी संसार का प्रपंच बढ़ाता है, और ईश्वर को भूलता है, उधर संयमी सांसारिक प्रपंचों से बेखबर रहता है और ईश्वर का साक्षात्‍कार करता है। इस प्रकार दोनों का पंथ न्‍यारा है। यह इस श्‍लोक में भगवान ने बतलाया है।

आपूर्यमाणमचलप्रतिष्‍ठं
समुद्रमाप: प्रविशन्ति यद्वत्।
तद्वत्‍कामा यं प्रविशन्ति सर्वे
स शान्तिमाप्‍नोति न कामकामी।।70।।

नदियों के प्रवेश से भरता रहने पर भी जैसे समुद्र अचल रहता है, वैसे ही जिस मनुष्‍य में संसार के भोग शांत हो जाते हैं वही शांति प्राप्‍त करता है, न कि कामना वाला मनुष्‍य।

विहाय कामान्‍य: सर्वान्पुमांश्‍चरति नि:स्‍पृह:।
निर्ममो निरहंकार: स शान्तिमधिगच्‍छति।।71।।

सब कामनाओं का त्‍याग करके जो मनुष्‍य इच्‍छा, ममता और अहंकार रहित होकर विचरता है, वही शांति पाता है।

एषा ब्राह्मी स्थिति: पार्थ नैनां प्राप्‍य विमुह्यति।
स्थित्‍वास्‍यामन्‍तकालेऽपि ब्रह्मनिर्वाणमृच्‍छति।।72।।

हे पार्थ! ईश्वर को पहचाने वाले की स्थिति ऐसी होती है। उसे पाने पर फिर वह मोह के वश नहीं होता और यदि मृत्‍युकाल में भी ऐसी ही स्थिति टिके तो वह ब्रह्मनिर्वाण पाता है।

ॐ तत्‍सत्

इति श्रीमद्भगवद्गीता रूपी उपनिषद अर्थात ब्रह्मविद्यान्‍त- र्गत योगशास्‍त्र के श्रीकृष्‍णार्जुनसंवाद का ʻसांख्‍य-योगʼ नामक दूसरा अध्‍याय।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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