गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 77

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
दूसरा अध्याय
सांख्‍ययोग


श्रुतिविप्रतिपन्‍ना ते यदा स्‍थास्‍‍यति निश्‍चला।
समाधावचला बुद्धिस्‍तदा योगमवास्‍यसि।।53।।

अनेक प्रकार के सिद्धांतों को सुनने से व्‍यग्र हुई तेरी बुद्धि जब समाधि में स्थिर होगी तभी तू समत्‍व को प्राप्‍त होगा।

अर्जुन उवाच
स्थितप्रज्ञस्‍य का भाषा समाधिस्‍थस्‍य केशव।
स्थितधी: किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।54।।

हे केशव ! स्थितप्रज्ञ अथवा समाधिस्‍थ के क्‍या लक्षण होते हैं ? स्थितप्रज्ञ कैसे बोलता, बैठता और चलता है ?

श्रीभगवानुवाच
प्रजहाति यदा कामान्‍सर्वान्‍पार्थ मनोगतान्।
आत्‍मन्‍येवात्‍मना तुष्‍ट: स्थितप्रज्ञस्‍तदोच्‍यते।।55।।

श्रीभगवान बोले-

हे पार्थ! जब मनुष्‍य मन में उठती हुई समस्‍त कामनाओं का त्‍याग करता है और आत्मा द्वारा ही आत्मा में संतुष्‍ट रहता है तब वह स्थितप्रज्ञ कहलाता है।

टिप्‍पणी- आत्‍मा से ही आत्‍मा में संतुष्‍ट रहना अर्थात आत्‍मा का आनंद अंदर से खोजना, सुख-दु:ख देने वाली बाहरी चीजों पर आनंद का आधार न रखना। आनंद सुख से भिन्‍न वस्‍तु है, यह ध्‍यान में रखना चाहिए। मुझे धन मिलने पर मैं उसमें सुख मानूं यह मोह है। मैं भिखारी होऊं , भूख का दु:ख होने पर भी चोरी या दूसरे प्रलोभनों में न पड़ने में जो बात मौजूद है वह आनंद देती है और वही आत्‍मसंतोष है।

दु:खेष्‍वनुद्विग्‍नमना: सुखेषु विगतस्‍पृह:।
वीतरागभयक्रोध: स्थितधीर्मुनिरुच्‍यते।।56।।

दु:ख से जो दुखी न हो, सुख की इच्‍छा न रखे और जो राग, भय और क्रोध से रहित हो वह स्थिरबुद्धि मुनि कहलाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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