गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 65

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
दूसरा अध्याय
सांख्‍ययोग


गुरुनहत्‍वा हि महानुभावान्
श्रेयो भोक्‍तुं भैक्ष्‍यमपीह लोके।
हत्‍वार्यकामांस्‍तु गुरुनिहैव
भुंजीय भोगान्‍रुधिरप्रदिग्‍धान्।।5।।

महानुभाव गुरुजनों को मारने के बदले इस लोक में भिक्षान्‍न खाना भी अच्‍छा है; क्‍योंकि गुरुजनों को मारकर तो मुझे रक्‍त से सने हुए अर्थ और कामरूप भोग ही भोगने ठहरे। 5

न चैतद्विद्म: कतरन्‍नो गरीयो
यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयु:।
यानेव हत्‍वा न जिजीविषाम-
स्‍तेऽवस्थिता: प्रमुखे धार्तराष्‍ट्रा:।।6।।

मैं नहीं जानता कि दोनों में क्‍या अच्‍छा है, हम जीतें यह, या वे हमें जीतें यह? जिन्‍हें मारकर मैं जीना नहीं चाहता, वे धृतराष्‍ट्र के पुत्र यह सामने खड़े हैं। 6

कार्पण्‍यदोषोपहतस्‍वभाव:
पृच्‍छामि त्‍वां धर्मसंमूढचेता:।
यच्‍छ्रये: स्‍यान्निश्चितं व्रूहि तन्‍मे
शिष्‍यस्‍तेऽह शाधि मां त्‍वां प्रपन्‍नम्।।7।।

कायरता से मेरी (जातीय) वृत्ति मारी गई है। मैं कर्त्तव्‍य- विमूढ़ हो गया हूँ। इसलिए जिसमें मेरा हित हो, वह मुझसे निश्‍चयपूर्वक कहने की आपसे प्रार्थना करता हूँ। मैं आपका शिष्‍य हूँ। आपकी शरण में आया हूँ। मुझे मार्ग बतलाइए। 7

न हि प्रपश्‍यामि ममापनुद्याद्
यच्‍छोकमुच्‍छोषणमिन्द्रियाणाम्।
अवाप्‍य भूमावसपत्‍नमृद्धं
राज्‍यं सुराणामपि चाधिपत्‍यम्।।8।।

इस लोक में धनधान्‍यसंपन्‍न निष्‍कंटक राज्‍य मिले और इंद्रासन मिले तो उसमें भी इंद्रियों को चूस लेने वाले मेरे शोक को दूर कर सकने-जैसा मैं कुछ नहीं देखता। 8

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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