गीता माता -महात्मा गांधी
अनासक्तियोग
पहला अध्याय
अर्जुनविषाद योग
यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणय:। नि:शस्त्र और सामना न करने वाले मुझको यदि धृतराष्ट्र के शस्त्रधारी पुत्र रण में मार डालें तो वह मेरे लिए बहुत कल्याणकारक होगा। संंजय उवाच संजय ने कहा- ऐसा कहकर रण में शोक से व्यग्रचित्त हुआ अर्जुन धनुष-बाण डालकर रथ के पिछले भाग में बैठ गया। ॐतत्सत् इति श्रीमद्भगवद्गीता रूपी उपनिषद् अर्थात् ब्रह्मविद्यान्त- र्गत योगशास्त्र के श्रीकृष्णार्जुन-संवाद का ʻअर्जुनविषाद योग̕ नामक पहला अध्याय। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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