गीता माता -महात्मा गांधी
अनासक्तियोग
पहला अध्याय
अर्जुन विषाद योग
यावदेतान्निरीक्षेऽहं योदधुकामानवस्थितान्। जिससे युद्ध की कामना से खड़े हुए लोगों को मैं देखूं और जानूं कि इस रणसंग्राम में मुझे किसके साथ लड़ना है। योत्स्यमानानवेक्षेऽहं य एतेऽत्र समागता:। दुर्बुद्धि दुर्योधन का युद्ध में प्रिय करने की इच्छा वाले जो योद्धा इकट्ठे हुए हैं, उन्हें मैं देखूं तो सही।̕̕ संजय उवाच संजय ने कहा- हे राजन्! जब अर्जुन ने श्रीकृष्ण से यों कहा तब उन्होंने दोनों सेनाओं के बीच में सब राजाओं और भीष्म-द्रोण के सम्मुख उत्तम रथ खड़ा करके कहा - ʻʻहे पार्थ! इन इकट्ठे हुए कौरवों को देख।̕̕ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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