गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 261

गीता माता -महात्मा गांधी

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8 : नित्य व्यवहार में गीता

प्रश्न -

केवल खादी का ही काम करके आप दूसरे ऐसे ही महत्त्वपूर्ण या इससे भी अधिक महत्त्व के राजनैतिक कामों की ओर से लापरवाह क्यों है?

उत्तर -

मैं कह चुका हूँ कि मेरा कार्यक्षेत्र मर्यादित है। दुर्योधन ने भी अपने योद्धाओं की मर्यादा का वर्णन किया था ‘यथाभागवस्थिताः', सभी को अपने-अपने स्थान पर रहने को और अपने स्थान पर रहकर भीष्म की रक्षा करने को कहा था। गीता का वर्णाश्रम धर्म यही कहता है। वह सबको अपनी-अपनी मर्यादा समझने को कहता है।

हिंदुस्तान को अगर मुझसे काम लेना हो तो उसे मेरी मर्यादा समझनी होगी। यह भले ही संभव हो कि मैं दूसरे काम भले प्रकार से कर सकूं, पर उन्हें दूसरे लोग करते हैं खादी का काम, जिसे मैं परम कर्तव्य मानता हूं, यही विश्वास होने के कारण कर रहा हूँ कि उसे मेरे जैसा कोई नहीं करेगा। मुझे सत्याग्रह पसंद है, मुझे वह करना है, परंतु उसके लिए अनुकूल वातावरण कहाँ है? खादी से वह मुझे पैदा करना है। सत्याग्रह तो मेरी प्राण-वायु के समान है, परन्तु उसे खादी के बिना अशक्य मानता हूँ।

प्रश्न -

जरा यह तो बतलाइयेगा कि इस दौरे में आपको मुसलमानों से कितनी प्रत्यक्ष सहायता मिली है?

उत्तर -

यह बात सच्ची है कि आज मुसलमान खादी के काम में मेरी नहीं के बराबर ही मदद कर रहे हैं, पर इसका असर हुआ? मैं अपनी स्त्री या भाई के साथ कुछ व्यापार नहीं करता घर में उनके साथ मैं यह सौदा करता ही नहीं कि तुम यह करो तो मैं वह करूं। उसी प्रकार मुसलमान भाइयों के साथ या पंडित जी या केलकर के साथ अदला-तदली का सौदा करना नहीं चाहता। मुसलमान से हम किसलिए डरें? परमेश्वर से क्यों न डरें? मनुष्य से डरना न चाहिए, मनुष्य से धोखा खाने का भय ही नहीं रखना चाहिए। ईश्वर से ऊपर विश्वास रखकर कि लोग धोखा देंगे तो भी ईश्वर देख लेगा, स्वधर्म करना चाहिए।

3 मार्च, 1921

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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