गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 225

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
अठारहवां अध्‍याय
संन्‍यासयोग


राजन्‍संस्‍कमृत्‍य संस्‍मृत्‍य संवाददिमममद्भुतम्।
केशवार्जुनयो: पुण्‍यं हृष्‍यामि च मुहुर्मुहु:।।76।।

हे राजन! केशव और अर्जुन के इस अद्भुत और पवित्र संवाद का स्‍मरण कर करके, मैं बारंबार आनंदित होता हूँ।  

तच्‍च संस्‍मृत्‍य संस्‍मृत्‍य रूपमत्‍यद्भुतं हरे:।
विस्‍मयो मे महाराजन्‍हृष्‍यामि च पुन: पुन:।।77।।

हे राजन! हरि के उस अद्भुत रूप का खूब स्‍मरण कर करके मैं बहुत विस्मित होता हूँ और बारंबार आनंदित होता रहता हूँ।  

यत्‍न योगेश्‍वर: कृष्‍णो यत्‍न पार्थो धनुर्धर:।
तत्र श्रीविंजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।78।।

जहाँ योगेश्‍वर कृष्‍ण हैं, जहाँ धनुर्राधारी पार्थ है, वहाँ श्री है, विजय है, वैभव है और अविचल नीति है, ऐसा मेरा अभिप्राय है।

टिप्‍पणी - योगेश्‍वर कृष्‍ण से तात्‍पर्य है अनुभव सिद्ध शुद्ध ज्ञान और धनुर्धारी अर्जुन से अभिप्राय है तदनुसारिणी किया, इन दोनों का संगम जहाँ हो, वहाँ संजय ने जो कहा है उसके सिवा दूसरा क्या परिणाम हो सकता है? 

ॐ तत्‍सत्

इति श्रीमद्भगवद्गीता रूपी उपनिषद् अर्थात् ब्रह्मविद्यान्‍तर्गतयोगशास्‍त्र के श्रीकृष्‍णार्जुन संवाद का ʻसंन्‍यासयोग̕ नामक अठारहवां अध्‍याय।

ॐ शान्ति

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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