गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 197

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
सोलहवां अध्याय
दैवासुरसंपद् विभागयोग


इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्यस्ये मनोरथम् ।
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम् ॥13॥
असौ मया हत: शत्रुर्हनिष्ये चापरानपि ।
ईश्वरोऽहमहं भोगी सिद्धोऽहं बलवान्सुखी ॥14॥
आढयोऽभिजनवानस्मि कोडन्योऽस्ति सदृशो मया ।
यक्ष्ये दास्यामि मोदिष्य इत्यज्ञानविमोहिता: ॥15॥
अनेकचित्तविभ्रान्ता मोहजालसमावृता: ।
प्रसक्ता: कामभोगेषु पतन्ति नरकेऽशचौ ॥16॥

आज मैंने यह पाया, यह मनोरथ अब पूरा करूंगा, इतना धन मेरे पास है, फिर कल इतना और मेरा हो जायगा, इस शत्रु को तो मारा, दूसरे को भी मारूंगा, मैं सर्व सम्‍पन्न हूं, भोगी हूं, सिद्ध हूं, बलवान हूं, सुखी हूं, श्रीमान हूं, कुलीन हूं, मेरे समान दूसरा कौन है? मैं यज्ञ करूंगा, दान दूंगा, मौज करूंगा- अज्ञान से मूढ़ हुए लोग ऐसा मानते हैं और अनेक भ्रांतियों में पड़े हुए, मोह जाल में फंसे, विषय भोग में मस्‍त हुए हुए अशुभ नरक में गिरते हैं।

आत्मसंभाविता: स्तब्धा धनमानमदान्विता:
यजन्ते नामयज्ञैस्ते दम्भेनाविधिपूर्वकम् ॥17॥

अपने को बड़ा मानने वाले, अकड़बाज, धन तथा मान के मद में मस्‍त हुए ये लोग दंभ से विधि रहित नाम मात्र के ही यज्ञ करते हैं।

अहंकारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिता: ।
मामात्मपरदेहेषु प्रद्विषन्तोऽभ्यसूयका: ॥18॥

अहंकारं, बल, घमंड, काम और क्रोध का आश्रय लेने वाले, निंदा करने वाले और उनमें तथा दूसरों में रहने वाला जो मैं, उसका वे द्वेष करने वाले हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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