गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 190

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
पंद्रहवां अध्याय
पुरुषोत्तम योग


 
निर्मानमोहा जितसग्ङदोषा अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामा: ।
द्वन्द्वैर्विमुक्ता: सुखदु:खसंज्ञैर्गच्छन्त्यमूढा: पदमव्ययं तत् ॥5॥

जिसने मान-मोह का त्‍याग किया है, जिसने आसक्ति से होने वाले दोषों को दूर किया है, जो आत्मा में नित्‍य निमग्‍न है, जिसके विषय शांत हो गये हैं, जो सुख-दु:ख रूपी द्वंद्वों से मुक्‍त है वह ज्ञानी अविनाशी पद को पाता है।

न तद्भासयते सूर्यो न शशाङ्को न पावक: ।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम ॥6॥

वहाँ सूर्य को, चंद्र को या अग्नि को प्रकाश नहीं देना पड़ता। जहाँ जाने वाले को फिर जन्‍मना नहीं पड़ता, वह मेरा परमधाम है।

ममैवांशो जीवलोके जीवभूत: सनातन: ।
मन:षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति ॥7॥

मेरा ही सनातन अंश जीव लोक में जीव होकर प्रकृति में रहने वाली पांच इंद्रियों को और मन को आकर्षित करता है।

शरीरं यदवाप्नोति यच्चाप्युत्क्रामतीश्वर: ।
गृहीत्वैतानि संयाति वायुर्गन्धानिवाशयात् ॥8॥

जीव बना हुआ यह मेरा अंशरूपी ईश्वर जब शरीर धारण करता है या छोड़ता है तब यह उसी तरह मन के साथ इंद्रियों को साथ ले जाता है। जैसे वायु आस-पास के मंडल में से गंध ले जाता है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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