गीता माता -महात्मा गांधी
गीता-बोध
चौथा अध्याय
मौनवार के दिन कातते-कातते डाक सुनता या किसी की कोई बात सुननी होती तो वह सुनता। यह कुटेव यहाँ भी नहीं गई। इसलिए कोई ताज्जुब नहीं कि कातने में बहुत नियमित होते हुए भी मैं सुस्त रह गया और घंटे में मुश्किल से 200 तार तक अब पहुँचा हूं! और भी अनेक दोष अपने में पाता हूं, जैसे तार टूटना, माल बनाना न जानना, चमरख का अल्पज्ञान, रूई की किस्म न पहचानना, समानता वगैरह पूरी तरह से न निकाल सकना, तार की परख न कर सकना इत्यादि। क्या यह सब किसी याज्ञिक को शोभा देता है? फिर खादी की गति धीमी रह गई तो इसमें क्या आश्चर्य है? यदि दरिद्रनारायण है और उसके होने में कोई शक नहीं है, और यदि उसकी प्रसादी खादी है, और यह कहने वाला, जानने वाला जो कुछ कहो वह मैं हूं, फिर भी मेरा अमल कितना ढीला-ढाला है। इसलिए इस विषय में किसी और को दोषी ठहराने जी नहीं चाहता है। मैं तो सिर्फ तुम्हें अपने दोष का, दु:ख का और उसमें से उत्पन्न होने वाले खयाल का और ज्ञान का दर्शन कराना चाहता हूँ। यद्यपि काका के साथ यदा-कदा ऐसी बातें हुई हैं, तथापि इतनी स्पष्टता से यही पहले-पहल तुमसे कर रहा हूँ और यह स्पष्टता भी आई तुम्हारे उस फ्रेंच को चरखे के साथ जोड़ने के कारण। तुमने जो किया, उसमें मैं तुम्हारा तनिक भी दोष नहीं पाता। मैं देख रहा हूँ कि चर्खे का कैसा कच्चा ʻमंत्राʼ हूँ मैं। मंत्र को तो जाना, पर उसकी पूरी विधि आचार में नहीं उतारी, इसलिए मंत्र अपनी पूरी शक्ति नहीं प्रकट कर सका। चर्खे की भाँति ही इस बात को सारे जीवन पर घटाकर देखो तो कल्पना में तो तुम्हें जीवन की अद्भुत शांति का अनुभव होगा और सफलता का भी। ʻयोग: कर्मसु कौशलम्ʼ का तात्पर्य यह है। इस बात को ध्यान मे रखकर जितना हो सके, उतना ही करने को हाथ में लें और संतोष मानें। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इससे हम अपने को और समाज को अधिक-से-अधिक आगे बढ़ाने में अपना कर्त्तव्य करते हैं। जब तक इसका पूरा-पूरा अमल न हो ले तब तक तो यह कोरा पांडित्य ही कहा जायगा। दिन-दिन इस दिशा में बढ़ तो रहा हूँ। बाहर निकलने पर क्या होगा, वह भगवान जानें। तुम इसमें से बन सके तो इतना तो अमल में ला सकते हो कि यज्ञ के निमित्त जितने तार तय कर लो उतने तो शास्त्रीय रीति से कातो। बाकी तो चाहे जिस दिशा में हिन्दुस्तान की संपत्ति बढ़ाने के इरादे से कातते रहो। अभी लिखते जाने की इच्छा होती है। पर अब बस करता हूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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