गीता माता -महात्मा गांधी
अनासक्तियोग
दसवां अध्याय
विभूति योग
उच्चै:श्रवसमश्वानां विद्धि माममृतोद्भवम्। अश्वों में अमृत में से उत्पन्न होने वाला उच्चै:श्रवा मुझे जान। हाथियों में ऐरावत और मनुष्यों में राजा मैं हूँ। आयुधानामहं वज्रं धेनूनामस्मि कामधुक्। हथियारों में वज्र मैं हूं, गायों में कामधेनु मैं हूँ प्रजा की उत्पत्ति का कारण कामदेव मैं हूं, सर्पों में वासुकि मैं हूँ। अनन्तश्चास्मि नागानां वरुणो यादसामहम्। नागों में शेषनाग मैं हूं, जलचरों में वरुण मैं हूँ पितरों में अर्यमा मैं हूँ और दंड देनेवालों में यम मैं हूँ। प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां काल: कलयतामहम्। दैत्यों में प्रह्लाद मैं हूं, गिनने वालो में काल मैं हूं, पशुओं में सिंह मैं हूं, पक्षियों में गरुड़ मैं हूँ। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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