गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 149

गीता माता -महात्मा गांधी

Prev.png
अनासक्तियोग
दसवां अध्याय
विभूति योग


तेषां सततयुक्‍तागां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बुद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते।।10।।

इस प्रकार मुझमें तन्‍मय रहने वालों को और मुझे प्रेम से भजने वालों को मैं ज्ञान देता हूँ और उससे वे मुझे पाते हैं।  

तेषामेवानुकम्‍पार्थमहमज्ञानजं तम:।
नाशयाम्‍यात्‍मभवरथो ज्ञानदीपेन भास्‍वता।।11।।

उन पर दया करके उनके हृदय में स्थित मैं ज्ञानरूपी प्रकाशमय दीपक से उनके अज्ञानरूपी अंधकार का नाश करता हूँ।

अर्जुन उवाच
परं ब्रह्म परं धाम पवित्र परमं भवान्।
पुरुषं शाश्‍वतं दिव्‍यमादिदेवमजं विभुम।।12।।
आहुस्‍त्‍वामृषय: सर्वे देवषिनरिदस्‍तथा।
असितो देवलो व्‍यास: स्‍वयं चैव ब्रवीषि मे।।13।।

अर्जुन बोले-

हे भगवान! आप परम ब्रह्म हैं, परम धाम हैं, परम पवित्र हैं। समस्‍त ऋषि, देवर्षि नारद, असित, देवल और व्‍यास आपको अविनाशी, दिव्‍यपुरुष, आदिदेव, अजन्‍मा, ईश्‍वर रूप मानते हैं और आप स्‍वयं भी वैसा ही कहते हैं।

 
सर्वमेतद्तं मन्‍ये यन्‍मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन्‍व्‍यक्ति विदुर्देवा न दानवा:।।14।।

हे केशव! आप जो कहते हैं उसे मैं सत्‍य मानता हूँ। हे भगवान! आपके स्‍वरूप को न देव जानते हैं न दानव

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः