गीता माता -महात्मा गांधी पृ. 135

गीता माता -महात्मा गांधी

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अनासक्तियोग
आठवां अध्याय
अक्षरब्रह्म्रयोग


अव्‍यक्‍ताद्वयक्‍तय: सर्वा: प्रभवन्‍त्‍यहरागमे।
रात्र्यागमे प्रलीयन्‍ते तत्रैवाव्‍यक्‍तसंज्ञ के।।18।।

ब्रह्मा का दिन आरंभ होने पर सब अव्‍यक्‍त में से व्‍यक्‍त होते हैं और रात पड़ने पर उनका प्रलय होता है अर्थात अव्‍यक्‍त में लय हो जाते हैं।

टिप्‍पणी- यह जानकर भी मनुष्‍य को समझना चाहिए कि उसके हाथ में बहुत थोड़ी सत्ता है। उत्‍पत्ति और नाश का जोड़ा साथ-साथ चलता ही रहता है।

भूतग्राम: स एवायं भूत्‍वा भूत्‍वा प्रलीयते।
रात्‍यागमेऽवश: पार्थ प्रभवत्‍यहरागमे।।19।।

हे पार्थ! यह प्राणियों का समुदाय इस तरह पैदा हो-होकर रात पड़ने पर बरबस लय होता है और दिन उगने पर उत्‍पन्‍न होता है।

परस्‍तस्‍मात्तु भावोऽन्‍यो-
ऽव्‍यक्‍तोऽव्‍यक्‍तात्‍सनातन:।
य: स सर्वेषु भूतेषु
नश्‍यत्‍सु न विनश्‍यति।।20।।

इस अव्‍यक्‍त से परे दूसरा सनातन अव्‍यक्‍त भाव है। समस्‍त प्राणियों का नाश होते हुए वह सनातन अव्‍यक्‍त भाव नष्‍ट नहीं होता।

अव्‍यक्‍तोऽक्षर इत्‍युक्‍तस्‍तमाहु: परमां गतिम्।
यं प्राप्‍य न निवर्तन्‍ते तद्वाम परमं मम।।21।।

जो अव्‍यक्‍त, अक्षर[1] कहलाता है, उसी को परमगति कहते हैं जिसे पाने के बाद लोगों का पुनर्जन्‍म नहीं होता, वह मेरा परमधाम है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अविनाशी

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गीता माता
अध्याय पृष्ठ संख्या
गीता-बोध
पहला अध्याय 1
दूसरा अध्‍याय 3
तीसरा अध्‍याय 6
चौथा अध्‍याय 10
पांचवां अध्‍याय 18
छठा अध्‍याय 20
सातवां अध्‍याय 22
आठवां अध्‍याय 24
नवां अध्‍याय 26
दसवां अध्‍याय 29
ग्‍यारहवां अध्‍याय 30
बारहवां अध्‍याय 32
तेरहवां अध्‍याय 34
चौदहवां अध्‍याय 36
पन्‍द्रहवां अध्‍याय 38
सोलहवां अध्‍याय 40
सत्रहवां अध्‍याय 41
अठारहवां अध्‍याय 42
अनासक्तियोग
प्रस्‍तावना 46
पहला अध्याय 53
दूसरा अध्याय 64
तीसरा अध्याय 82
चौथा अध्याय 93
पांचवां अध्याय 104
छठा अध्याय 112
सातवां अध्याय 123
आठवां अध्याय 131
नवां अध्याय 138
दसवां अध्याय 147
ग्‍यारहवां अध्याय 157
बारहवां अध्याय 169
तेरहवां अध्याय 174
चौहदवां अध्याय 182
पंद्रहवां अध्याय 189
सोलहवां अध्याय 194
सत्रहवां अध्याय 200
अठारहवां अध्याय 207
गीता-प्रवेशिका 226
गीता-पदार्थ-कोश 238
गीता की महिमा
गीता-माता 243
गीता से प्रथम परिचय 245
गीता का अध्ययन 246
गीता-ध्यान 248
गीता पर आस्था 250
गीता का अर्थ 251
गीता कंठ करो 257
नित्य व्यवहार में गीता 258
भगवद्गीता अथवा अनासक्तियोग 262
गीता-जयन्ती 263
गीता और रामायण 264
राष्ट्रीय शालाओं में गीता 266
अहिंसा परमोधर्म: 267
गीता जी 270
अंतिम पृष्ठ 274

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