गीता-प्रबंध -श्री अरविन्द8.सांख्य और योग
गीता का विश्लेषण ऐसा है जो बाह्म सृष्टि-क्रम से ही बद्ध न होकर परा प्रकृति के 'उत्तम रहस्य’ तक में प्रविष्ट हैं उसी उत्तम रहस्य के आधार पर गीता वेदांत, सांख्य और योग का समन्वय, ज्ञान, कर्म और भक्ति का समन्वय स्थापित करती है। केवल सांख्य-शास्त्र के द्वारा कर्म और भक्ति का समन्वय परस्पर-विरोधी होने से असंभावित है। केवल अद्वैत सिद्धांत के आधार पर योग के अंगरूप से कर्मो का सदा आचरण और पूर्ण ज्ञान, मुक्ति और सायुज्य के बाद भी भक्ति में रमण असंभव है या कम-से-कम युक्ति-विरुद्ध और निष्प्रयोजन है। गीता का सांख्य-ज्ञान इन सब बाधाओं को दूर करता है और गीता का योगशास्त्र इस सब पर विजय लाभ करता है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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