गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 130

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण

अध्याय- 1
(अर्जुन विषाद-योग)
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(5)
धृष्टकेतुश्चेकितानः
काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च
शैव्यश्च नरपुंगवः।।

(5)
धृष्टकेतु[1] है चेकितान[2]है
वीर्यवन्त काशिराज[3] है।
विश्रुत पुरुजित[4] कुन्तिभोज है
नर-पुंगव[5]शैब्यराज[6] है।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (1) घृष्टकेतु-चन्देरी (चेदिदेश) के राजा शिशुपाल का पुत्र था। इसे द्रोणाचार्य ने मारा था।
  2. (2) चेकितान-एक यादव राजकुमार था जो दुर्योधन द्वारा मारा गया था।
  3. (3) काशिराज-यह भीम का श्वसुर था, इसकी कन्याबलन्धरा” के साथ भीम का विवाह हुआ था।
  4. (4) कुन्तीभोज- कुन्तीभोज पाण्डवों की माता कुन्ती का धर्म पिता था, और पुरुजित कुन्तिभोज का पुत्र व कुन्ती का भाई था यह कुन्तिभोज और पुरुजित दोनों ही द्रोणाचार्य द्वारा मारे गए थे।
  5. (5) मनुष्यों में श्रेष्ठ।
  6. (6) शैव्यराज-युधिष्ठिर का श्वसुर था इसकी कन्या “देवकी” का विवाह युधिष्ठिर से हुआ था।

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अंतिम पृष्ठ 1142

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