गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-18
मोक्ष-संन्यास-योग
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तामस कर्त्ता-
- श्लोक 28- जिसकी बुद्धि स्थिर नहीं होती अर्थात जो अयुक्त होता है, असभ्य होता है, आलसी, अभिमानी, दीर्घसूत्री[1], नैष्कृतिक[2], आततायी[3] होता है और सदा दुखी व अप्रसन्न रहता है; ऐसा व्यक्ति “तामस-कर्ता” कहलाता है। देखोः-
अध्याय 14 श्लोक 8, 9, 13; अध्याय 16 श्लोक 4, 7, 10 से 15 व 23;
अध्याय 17 श्लोक 13, 19 व 22।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विलम्ब से काम करने वाला
- ↑ दूसरों को हानि पहुँचाने वाला
- ↑ दूसरों की जीविका का हरण करने वाला
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