गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-18
मोक्ष-संन्यास-योग
मोक्ष-संन्यास-योग
।। श्लोक 26 से 28 का भावार्थ।। सात्त्विक कर्ताः-
अध्याय 2 श्लोक 64; अध्याय 3 श्लोक 7, 9, 18, 25, 27, 28; अध्याय 4 श्लोक 18 से 23; अध्याय 5 श्लोक 7 से 11; 13, 20, 21; अध्याय 6 श्लोक 1, 4, 7, 23; अध्याय 13 श्लोक 29; अध्याय 14 श्लोक 22 से 25; अध्याय 16, श्लोक 1-3; अध्याय 17 श्लोक 4।
अध्याय 2 श्लोक 43; अध्याय 3 श्लोक 13, 16, 27; अध्याय 5 श्लोक 12; अध्याय 7 श्लोक 15, 27; अध्याय 14 श्लोक 7, 12, 17; अध्याय 16 श्लोक 4, 7, 10, 11, 12; अध्याय 17 श्लोक 4, 5, 6, 9, 12, 18 व 21।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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