गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
नकुल:- नकुल ने चेदिराज की कन्या “करेणुमति” से विवाह किया, जिससे “निरमिव” नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। राजसूय यज्ञ के समय नकुल ने पश्चिम दिशा के मत्तमयूर, पंचनद अर्थात पंजाब को, अपने मामा मद्रदेश के राजा शल्य को तथा समुद्र तटवर्ती म्लेच्छ, पल्हव, बर्बर किरात, यवन, शक आदि जातियों को परास्त कर अपने अधीन किया। सहदेव:- सहदेव का विवाह मद्रदेश के राजा शल्य की कन्या “विजया” से हुआ था जिससे “सुहोत्र” नाम का पुत्र उत्पन्न हुआ। राजसूय यज्ञ के समय सहदेव ने दक्षिण दिशा के शूरसेन और मत्स्यदेश के राजा को, अपने नाना कुन्तिभोज को तथा नर्मदा नदी के प्रान्त के राजा विन्द-अनुविन्द को हराकर अवन्दि देश को विजय किया। इसके पश्चात् पूर्वकोशल के राजा भीष्मक, हेरम्बक, मारुध, पुलिन्द आदि समस्त राजाओं को परास्त किया और दक्षिण दिशा की ओर जाकर पांडय, किष्किन्धा को वानर जाति को और राजा मयन्द को तथा माहिषमति के राजा नील को परास्त करके द्रविड, आन्ध्र, कालिंग आदि म्लेच्छ, यवन और निषाद जातियों को हराकर समस्त दक्षिण प्रान्त को अपने अधीन बना लिया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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