गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-17
श्रद्धात्रय-विभाग-योग
श्रद्धात्रय-विभाग-योग
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अनुचित स्थान व अनुपयुक्त समय में
- ↑ अयोग्य व्यक्ति;- मद्यपान करने वाला; भक्षाभक्ष का विचार न रखने वाला; तस्कर वृत्ति वाला; अन्यायी, नीच व घ्रणित कर्म करने वाला; प्रत्युयकारी; दान का दुरुपयोग करने वाला; जो स्वयं संपन्न हो; यह समस्त व्यक्ति “अपात्र” कहे गए हैं। ऐसे लोगों को दिया हुआ दान निष्फल होता है
- ↑ बिना सत्कार के
- ↑ तिरस्कारपूर्वक
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