गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय-17
श्रद्धात्रय-विभाग-योग
श्रद्धात्रय-विभाग-योग
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अनिश्चित व अस्थिर इस कारण कहा है कि ऐसे तप का फल मिलने में सन्देह रहता है और यदि फल मिल भी जावे तो स्थिर नहीं होता।
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