चौदहवां अध्याय
गुणोत्कर्ष और गुण-निस्तार
77. तमोगुण का एक और उपाय
9. पहली बात है आलस्य जीतना; दूसरी बात है नींद जीतना। नींद वस्तुतः पवित्र वस्तु है। सेवा करके थके हुए साधु-संतों की नींद एक योग ही है। इस प्रकार की शांत गहरी नींद परम भाग्यवानों को ही मिलती है। नींद गहरी, गाढ़ी होनी चाहिए। नींद का महत्त्व लंबाई-चौड़ाई पर नहीं है। बिछौना कितना लंबा था और उस पर मनुष्य कितनी देर पड़ा रहा, इस बात पर नींद अवलंबित नहीं है। कुआं जितना गहरा होगा, उतना ही उसका पानी अधिक साफ और मीठा होगा। उसी तरह नींद चाहे थोड़ी हो, पर यदि गहरी हो, तो उससे बड़ा काम बनता है। मन लगा कर किया आधा घंटे का अध्ययन, चंचलता से किये गये तीन घंटे के अध्ययन से ज्यादा फलदायी होता है। यही बात नींद की है। लंबी नींद अंत में हितकर ही होती है, ऐसा नहीं कह सकते। बीमार चौबीसों घंटे बिस्तर पर पड़ा रहता है। बिस्तर की और उसकी लगातर भेंट है; लेकिन नींद से भेंट ही नहीं। सच्ची नींद वह, जो गहरी और निःस्वप्न हो। मरने पर यम-यातना जो कुछ होती हो सो हो, परंतु जिसे नींद अच्छी नहीं आती, दुःस्वप्न आते रहते हैं, उसकी यातना का हाल मत पूछिए। वेद में ऋषि त्रस्त होकर कहते हैं- 'परा दुःस्वप्न्यं सुव।' ‘ऐसी दुष्ट नींद मुझे नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। नींद आराम के लिए होती है, परंतु यदि उसमें भी तरह-तरह के स्वप्न और विचार पिंड न छोड़ते हों, तो आराम कहां? 10. तो, गहरी और गाढ़ी नींद आये कैसे? जो उपाय आलस्य के लिए बताया है, वही नींद के लिए भी है। शरीर से सतत काम लेते रहना चाहिए। फिर बिछौने पर जाते ही मनुष्य मुर्दे की तरह पड़ेगा। नींद एक छोटी-सी मृत्यु ही है। ऐसी सुंदर मृत्यु आने के लिए दिन में पूर्व तैयारी अच्छी होनी चाहिए। शरीर थककर चूर हो जाना चाहिए। अंग्रेज कवि शेक्सपियर ने कहा है- ‘राजा के सिर पर तो मुकुट है, परंतु सिर में चिंता है! राजा को नींद नहीं आती। उसका एक कारण यह है कि वह शारीरिक श्रम नहीं करता। जागने के समय जो सोता है, वह सोने के समय जागता रहेगा। दिन में बुद्धि और शरीर का उपयोग न करना, नींद नहीं तो क्या? फिर नींद के समय बुद्धि विचार करती फिरती है और शरीर भी वास्तविक निद्रा-सुख नहीं पाता। तब देर तक सोते पड़े रहते हैं। जिस जीवन में परम पुरुषार्थ साधना है, उसे यदि नींद ने खा डाला, तो पुरुषार्थ कब किया जायेगा? आधा जीवन यदि नींद में ही चला गया, तो फिर क्या प्राप्त कर सकेंगे? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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