गह्यौ कर स्याम भुज मल्ल अपने धाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंडमलार


गह्यौ कर स्याम भुज मल्ल अपने धाइ, झटकि लीन्हौ तुरत पटकि धरनी।
भटकि अति सब्द भयौ, खटक नृप के हियै, अटकि प्राननि परयौ चटक करनी।।
लटकि निरखन लग्यौ, मटक सब भूलि गइ, हटक करि देउँ इहै लागी।
झटकि कुडल निरखि, अटक ह्वै कै गयौ, गटकि सिल सौ रह्यौ मीच जागी।।
मल्ल जे जे रहे सबै मारे तुरत, असुर जोधा सबै तेउ सँहारे।
धाइ दूतनि कह्यौ, मल्ल कोउ न रह्यौ, 'सूर' बलराम हरि सब पछारे।।3073।।

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