गर्ग संहिता
श्रीविज्ञान खण्ड : अध्याय 9
गोविन्द ! आप यादवों के स्वामी तथा गौओं की रक्षा करने वाले हैं। आपके चरणतीर्थ स्वरूप हैं। भगवन् ! केसर, चन्दन, चमेली, और खस से सुवासित यह जल है। आप इससे स्न्नान कीजिये। मधुपर्क- यदुपते ! आप पीताम्बर धारण करने वाले है आपके लिये मधुपर्क तैयार है। यह मध्याह्न के प्रचण्ड मार्तण्ड के उत्तापजनित श्रम को दूर करने वाला है। मिश्री के मिल जाने से यह अत्यन्त मनोहर हो गया है। भगवन् ! आप इसकी ओर दृष्टि डालकर इसे स्वीकार करने की कृपा करें। वस्त्र- प्रभो ! ‘पीताम्बर’ नामक वस्त्र प्रस्तुत है। इसकी प्रभा अत्यन्त उज्ज्वल है, इसकी किरणें सब ओर छिटक रही हैं। परम दुर्लभ यह वस्त्र अपने आप बना हुआ है। कमल के केसर जैसा इसका रंग है। कृपया आप इसे ग्रहण करें । यज्ञोपवीत- भगवन् ! सुवर्ण के समान चमचमाता हुआ हल के पीले वर्ण का यह यज्ञोपवीत है। उत्तम मन्त्रों द्वारा भली-भाँति इसका प्रोक्षण हुआ है। वेदज्ञ ब्राह्मणों ने इसकी रचना की है। पांच नैमितिक कर्मों में इसका उपयोग कल्याणदायक होता है। प्रभो आप इसे ग्रहण कीजिये। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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