गर्ग संहिता
माधुर्य खण्ड : अध्याय 6
भीष्मजी बोले- राजन ! यह एक गुप्त बात है, जिसे मैंने वेदव्यासजी के मुँह से सुनी थी। यह प्रसंग समस्त पापों को हर लेने वाला, पुण्यप्रद तथा हर्षवर्धक है, इसे सुनो। परिपूर्णतम भगवान श्रीहरि देवताओं की रक्षा तथा दैत्यों का वध करने के लिये वसुदेव घर में अवतीर्ण हुए हैं। किंतु आधी रात के समय वसुदेव कंस के भय से उस बालक को लेकर तुरंत गोकुल चले गये और वहाँ अपने पुत्र को यशोदा की शय्या पर सुलाकर, यशोदा और नन्द की पुत्री माया को साथ ले, मथुरापुरी में लौट आये। इस प्रकार श्रीकृष्ण गोकुल में गुप्त रूप से पलकर बड़े हुए हैं, यह बात दूसरे कोई भी मनुष्य नहीं जानते। वे ही गोपालवेषधारी श्रीहरि वृन्दावन में ग्यारह वर्षों तक गुप्त रूप से वास करेंगे। फिर कंस-दैत्य का वध करके प्रकट हो जायँगे। अयोध्यापुरवासिनी जो नारियाँ श्रीरामचन्द्रजी के वर से गोपीभाव को प्राप्त हुई हैं, वे सब तुम्हारी पत्नियों के गर्भ से सुन्दरी कन्याओं के रूप में उत्पन्न हुई हैं। तुम उन गूढ़ रूप में विद्यमान देवाधिदेव श्रीकृष्ण को अपनी समस्त कन्याएँ अवश्य दे दो। इस कार्य में कदापि विलम्ब न करो, क्योंकि यह शरीर काल के अधीन है। यो कहकर जब सर्वज्ञ भीष्मजी हस्तिनापुर को चले गये, तब राजा विमल ने नन्दनन्दन के पास अपना दूत भेजा। इस प्रकार श्रीगर्ग संहिता में माधुर्य खण्ड के अन्तर्गत श्रीनारद बहुलाश्व संवाद में ‘अयोध्यापुरवासिनी गोपीकाओं का उपाख्यान' नामक छठा अध्याय पूरा हुआ ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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