कृष्ण और बलराम द्वारा मदिरा के निषेध की कठोर आज्ञा

महाभारत मौसल पर्व के अंतर्गत तीसरे अध्याय में बलराम और कृष्ण द्वारा नगर में मदिरा को निषेध करने की आज्ञा का वर्णन हुआ है, जो इस प्रकार है[1]-

नगर में मदिरा के निषेध की कठोर आज्ञा देना

वैशम्पायन जी कहते हैं- जब साम्ब ने उस शापजनित भयंकर मूसल को पैदा किया तब यदुवंशियों ने उसे ले जाकर राजा उग्रसेन को दे दिया। उसे देखते ही राजा के मन में विषाद छा गया। उन्होंने उस मूसल को कुटवाकर अत्यन्त महीन चूर्ण करा दिया। नरेश्वर! राजा की आज्ञा से उनके सेवकों ने उस लोहचूर्ण को समुद्र में फेंक दिया। फिर उग्रसेन, श्रीकृष्ण, बलराम और महामना बभ्रु के आदेश से राजपुरुषों ने नगर में यह घोषणा करा दी कि 'आज से समस्त वृष्णिवंशी और अन्धकवंशी क्षत्रियों के यहाँ कोई भी नगर निवासी मदिरा न तैयार करें। जो मनुष्य कहीं भी हम लोगों से छिपकर कोई नशीली पीने की वस्तु तैयार करेगा वह स्वयं वह अपराध करके जीते जी अपने भाई-बन्धुओं सहित शूली पर चढ़ा दिया जायगा।' अनायास ही महान कर्म करने वाले बलराम जी का यह शासन समझकर सब लोगों ने राजा के भय से यह नियम बना लिया कि ‘आज से न तो मदिरा बनाना है न पीना।'


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. महाभारत मौसल पर्व अध्याय 1 श्लोक 17-31

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