कृष्ण-कृष्ण कहें सब -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग खट - झपताल


कृष्ण-कृष्ण कहें सब, मोहि अति प्यारौ लगै,
मन गुदगुदी हो‌इ, बोलूँ कृष्ण-नाम री।
’हा कृष्ण! हा प्रिय कृष्ण’ मैं पुकारि उठी बरबस,
बही अश्रुधार, चौंकी सब बाम री॥
भ‌ई मैं अचेत, देखि मोहि हँस्यौ परिवार री।
मोहन-मुख-पंकज पै सरबस दीन्हौ वार री॥
’सारी ब्रजनारिन कौं बेभान कहति हुती,
भाभी ! तू भ‌ई बेभान क्यों अबार री ?’
’हा हा! बीर ! कहा कहौं, बिंध्यौ आय तीर हि‌एँ,
तासौं बही प्रेम-रस-सुधा-धार री॥
बेगि मो मिलाय प्रान-प्यारे मन-मोहन सौं,
जनम-जनम भूलूँ नहीं उपकार री।
जाकौ नाम हृदय बेधि, दै बहाय सुधा-धार,
ताकौ बस मिलन सब सार-कौ-सार री’॥
स्याम प्रगट भ‌ए तहाँ, बामा के प्यार री।
मोहन-मुख-पंकज पै सरबस दीन्हौ वार री॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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