श्रीकृष्णांक
श्रीराधिका जी का उद्धव को उपदेश
तस्मादुद्धव यत्नेन भज कृष्णं परात्परम् । इसलिये हे उद्धव ! तुम प्रयत्नपूर्वक श्रीकृष्ण का भजन करना। वे श्रीकृष्णचन्द्र प्रकृति से परे, निर्गुण, निरीह, परमात्मा, ईश्वर, नित्य, सत्य, परब्रह्म और प्रकृति से अतीत प्रकृति के स्वामी हैं। वे सर्वत्र परिपूर्ण, शुद्धस्वरूप, भक्तों के लिये मूर्तिमान अनुग्रहरूप, कर्मियों के कर्म-कलाप के साक्षी होकर भी उनसे अलिप्त, ज्योतिस्वरूप तथा सम्पूर्ण कारणों के परमकारण हैं। सम्पूर्ण विश्व उन्हीं का स्वरूप है, वे सबके स्वामी, सम्पूर्ण सम्पत्तियों के देने वाले हैं। अत: हे उद्धव ! पापमय मात्सर्यजनक ज्ञाति-बुद्धि को छोड़कर अर्थात इस बात को भुलाकर कि कृष्ण मेरे जाति-बन्धु हैं तुम उन परमानन्द स्वरूप श्रीनन्दनन्दन का आनन्दपूर्वक भजन करना। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ब्र. वै. पुराण 4।17।21-25
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