काहु के बैर कहा सरै।
ताकी सरबरि करै सो झूठौ जाहि गुपाल बड़ौ करै।
ससि-सन्मुख जो धूरि उड़ावै, उलटि ताहि कैं मुख परै।
चिरिया कहा समुद्र उलीचै, पवन कहा परबत टरै ?
जाकी कृपा पतित ह्वै पावन, पग परसत पाहन तरै।
सूर केस नहिं टारि सकै कोउ, दाँत पौसि जौ जग मरै।।234।।