कालीदह-जल ऊपर सोहत -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

बाल-माधुरी की झाँकियाँ

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राग भैरवी - तीन ताल


कालीदह-जल ऊपर सोहत।
करि कालिय-‌उद्धार सु निकसत बाहर, सुर-मुनि-जन-मन मोहत॥
कियौ सिंगार बिबिध बिधि अनुपम कालिय की घरिनी मिलि सारी।
मधुर रूप-सुंदरता पर सब त्रिभुवन की सुन्दरता वारी॥
मुसुकत मधुर मुरलि धरि अधरनि परम दिव्य रस-सरि बिस्तारत।
भव-दुख-दावानल-निर्वापित करत, सकल जंजाल निवारत॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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