कहा भए अति ढीठ कन्हाई।
ऐसी बात कहत सकुचत नहिं कहँ धौं अपनी लाज गँवाई।।
जाहु चले लोगनि के आगैं, झूठी बानी कहत सुनाई।
तुम हँसि कहत, ग्वाल सुनि-सुनि कै, घर-घर मैं कैहैं सब जाई।।
बहुत होहुगे दसहिं बरस के, बात कहत हौ बनै बनाई।
सूर स्याम जसुमति के आगैं, यहै बात सब कैहैं जाई।।1562।।