कवि गावत हरि मोहन नाम -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


कवि गावत हरि मोहन नाम।
गाढ़ौ मान दूरि करि डारयौ, हरष भई मन बाम।।
ऐसे चरित और को जानै, धन्य धन्य नंदलाल।
जौ ये गुन तौ हरत तियनि मन, अति हरषित भई बाल।।
मिट्यौ कामतनु काम तुरत ही, रिझई मदनगुपाल।
'सूर' स्याम रसबस करि लीन्ही, यहै रच्यौ इक ख्याल।।2701।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः