कर प्रणाम तेरे चरणों में -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

Prev.png
राग जैजैवंती - ताल झूमरा


कर प्रणाम तेरे चरणों में लगता हूँ अब तेरे काज।
पालन करनेको आज्ञा तव मैं नियुक्त होता हूँ आज॥
अन्तरमें स्थित रहकर मेरी बागडोर पकड़े रहना।
निपट निरंकुश चंचल मन को सावधान करते रहना॥
अन्तर्यामी को अन्तःस्थित देख सशंकित होवे मन।
पाप-वासना उठते ही हो नाश लाजसे वह जल-भुन॥
जीवों का कलरव जो दिनभर सुनने में मेरे आवे।
तेरा ही गुण-गान जान मन प्रमुदित हो अति सुख पावे॥
तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि! तुझमें यह सारा संसार।
इसी भावनासे अन्तरभर मिलूँ सभीसे तुझे निहार॥
प्रतिपल निज इन्द्रिय-समूह से जो कुछ भी आचार करूँ।
केवल तुझे रिझाने को, बस, तेरा ही ब्यवहार करूँ॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः