करना तुम मत नाश कभी यह -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


करना तुम मत नाश कभी यह मेरा प्यारा मानस-रोग।
बड़ा मजा आता है इसमें, यद्यपि तनका सदा वियोग॥
हरा रहे यह घाव हृदय का, रहे टीस का नित संयोग।
मधुर तुम्हारी स्मृति से बढक़र सुखद न को‌ई-सा सम्भोग॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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