करत जदुनाथ जलधि जल केलि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


करत जदुनाथ जलधि जल केलि।
अबलनि कर लिये, अंबु अमृत किये, दिये नव नव सुख खेलि।।
यौ राजत तिहि काल लाल, ललना रसाल रस रंग।
मानहुँ न्हात मदन-धुजिनी-गज, सजनी गजिनी संग।।
स्रवत सलिल सिव बिदित अलक इव, राहु बदन बिधु दमत।
मनहुँ पान करि मौजनि सौ अलि, पियौ कमल रंग बमत।।
धुनि न करत, उर डरत सिंधु अति, तरँग रह्यौ ठहराइ।।
पूजे कृष्न उजागर सागर, बैरा गर पहिराइ।।
भवन गवन यौं नंदसुवन तब, निकसि चढ़े रथ कूल।।
निरखत बरखत कुसुम त्रिदस, जन 'सूर' सुमति मन फूल।।2911।।

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