करते कभी छेड़ अति प्यारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग भीमपलासी - ताल कहरवा


करते कभी छेड़ अति प्यारी,
खारी; भर लेते अँकवार।
पीते कभी, पिलाते रस अति
मधुर-मनोहर कर मनुहार॥
करते विविध भाँति क्रीडा वे,
भरते प्रेम-सुधा-भरपूर।
कर देते शुचि दिव्य प्रेम-
मद की मधु मादकता में चूर॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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