कमल पहुँचाइ सब गोप आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गुंडमलार



कमल पहुँचाइ सब गोप आए।
गए जमुना-तीर, भई अतिहीं भीर, देखि नँद तीर तुरतहिं बुलाए।
दियौ सिरपाव नृपराव नै महर कौं, आपु पहिरावने सब दिखाए।
अतिहिं सुख पाइ कै, लियौ सिर नाइ कै, हरष नँदराइ कैं मन बढ़ाए।
स्याम-बलराम कौ नाम जब हम लियौ, सुनत सुख कियौ उन कमल ल्याए।
सूर नँद-सुवन दोउ, दिवस इक देखिहौं, पुहुप लिए, पाइ सुख, इन बुलाए।।587।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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