कमल पर बज्र धरति उर लाइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कान्हरौ


कमल पर बज्र धरति उर लाइ।
राजति रमा कुंभरस अतर, पति निज थल जल साइ।।
बैनतेय सपुट सनकादिक, जय अरु विजय सखाइ।
औसर-बाग-बिसारद नारद, हाहा जित गुन गाइ।।
कनकदड सारग बिबिध रव, निगम सिद्ध सुर ध्याइ।।
तिनके चरनसरोज 'सूर' दरसन, गुरु कृपा सहाइ।।3016।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः